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बिज़नेस शुरू करने में देरी क्यों?

ये 3 बहाने आपको रोक रहे हैं!

क्या आपका ड्रीम बिज़नेस भी हमेशा

'अगले महीने' से शुरू होने वाला है?

हम सब ऐसे लोगों से मिलते हैं (या शायद खुद वैसे हैं)

जो अपने सपनों के बिज़नेस, NGO या ऑर्गनाइज़ेशन के लिए घंटों प्लानिंग करते हैं।

वे बताते हैं कि "बस, अगले महीने से काम पक्का शुरू है!"... लेकिन 6 महीने बाद भी,

उनका वह 'अगला महीना' कभी नहीं आता।

आपके पास एक ज़बरदस्त आईडिया है,

आपने सपने भी बुन लिए हैं, पर हकीकत में आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं। ऐसा क्यों होता है?

आज मैं उन 3 'बहानों' या 'वजहों' को बेनकाब कर रहा हूँ जो हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं, जबकि असल में,

बिज़नेस शुरू करने के लिए इनकी कोई खास ज़रूरत ही नहीं होती।

1. "परफेक्ट प्लान" का इंतज़ार

अक्सर लोग, खासकर ज़्यादा पढ़े-लिखे लोग,

कुछ भी शुरू करने से पहले उसकी हर एक बारीकी को परफेक्ट करना चाहते हैं। वे शुरू से अंत तक का एक 'फूल-प्रूफ' रोडमैप चाहते हैं और इसी डिटेलिंग में उलझकर रह जाते हैं।

सच्चाई यह है: रियल वर्ल्ड में "परफेक्ट प्लान" जैसी कोई चीज़ नहीं होती। आप कितनी भी प्लानिंग कर लें, ज़मीनी हकीकत हमेशा अलग होती है।

एक्शन लें : एक 'रॉ' (मोटे-मोटे) प्लान के साथ शुरू करें। इंसान ज़्यादातर चीज़ें काम करने के दौरान ही सीखता है।

उदाहरण : जब Sony ने शुरुआत की, तो वे इलेक्ट्रिक राइस कुकर बेचने में बुरी तरह फेल हो गए थे।

पर वे रुके नहीं, उन्होंने सीखा और आज वे इलेक्ट्रॉनिक्स के बादशाह हैं।

मेरा अनुभव : जब मैंने GHD CHARITABLE TRUST की शुरुआत की थी, तब मैंने भी नहीं सोचा था कि मैं यह कर पाऊँगा,

पर मैंने शुरू किया और आज मुझे सबसे ज़्यादा

सफलता इसी से मिली है।

याद रखें: एक साल की परफेक्ट प्लानिंग करने से हज़ार गुना बेहतर है,

एक महीने के अधूरे प्लान के साथ शुरू कर देना।

ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा? आप फेल हो जाएँगे। यह भी एक सबक होगा, जो "कभी शुरू ना करने"

से तो बेहतर ही है।

2. "आदर्श परिस्थिति" का भ्रम

बहुत से लोग इसलिए रुके हैं क्योंकि वे 'सही समय' या 'आदर्श परिस्थिति' का इंतज़ार कर रहे हैं।

आप अक्सर उनसे ऐसी बातें सुनेंगे:

"बस बरसात खत्म हो जाए, फिर शुरू करूँगा।" "एक बार सही पार्टनर मिल जाए, बाकी सब रेडी है।"

"बच्चों का एडमिशन हो जाए, फिर 100% काम पक्का शुरू।"

कड़वा सच : हो सकता है कि कभी कोई कारण असली हो, लेकिन ज़्यादातर समय यह सिर्फ काम टालने के बहाने होते हैं।

अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो खुद से एक ज़रूरी सवाल पूछिए: "क्या मैं सच में बिज़नेस करना चाहता हूँ,

या सिर्फ एक 'एंटरप्रेन्योर' का टैग लगाकर घूमना

चाहता हूँ?"

एक्शन लें: आदर्श परिस्थितियाँ (Ideal Conditions) सिर्फ लैब में होती हैं। हमें लैब के बाहर, असली दुनिया में काम करना है।

इसलिए, इंतज़ार करना बेकार है। आज, अभी, आपके पास जो कुछ भी है, उससे एक सामान्य शुरुआत करें।

3. गैर-ज़रूरी कामों में उलझना

यह तीसरा कारण उन लोगों के लिए है जो सच में काम शुरू करना चाहते हैं, लेकिन वे अपनी सारी एनर्जी गलत जगह बर्बाद कर देते हैं।

वे काम शुरू करने से पहले ही एक परफेक्ट वेबसाइट, एक शानदार लोगो (Logo) या एक ज़बरदस्त पंचलाइन (Punch Line) बनाने में हफ्तों लगा देते हैं।

सच्चाई यह है: ये चीज़ें ज़रूरी हैं, पर शुरुआत में नहीं।

उदाहरण: बिल गेट्स ने भी पहले अपनी कंपनी का नाम "Micro-Soft" रखा था, जिसे बाद में बदलकर "Microsoft" कर दिया गया।

शुरुआत में बस आपका नाम ही काफी है।

उदाहरण: अगर एक चाट वाला, आलू-मसाले खरीदने की जगह यह सोचने में वक्त बर्बाद कर दे कि 'ठेले का रंग क्या होगा?',

तो उसे क्या मिलेगा? अंत में, ग्राहक सिर्फ 'चाट की क्वालिटी' के लिए आएगा, ठेले के रंग के लिए नहीं।

एक्शन लें: शुरुआत में, आपका सारा फोकस सिर्फ एक चीज़ पर होना चाहिए: "अपने कस्टमर के लिए वैल्यू क्रिएट करना।"

अपनी सारी एनर्जी उन ज़रूरी कामों में लगाइए जो सीधे आपके बिज़नेस को आगे बढ़ाएँ। बाकी सब बाद में भी हो सकता है।

अब आपकी बारी!

क्या आप भी इन्हीं 3 बहानों में से किसी एक में फँसे हैं? अगर हाँ, तो अब आप सच्चाई जानते हैं।

प्लानिंग बंद कीजिये। इंतज़ार करना छोड़िये। छोटी-मोटी चीज़ों में उलझना बंद कीजिये।

बस, शुरू कीजिये! (Just, START!) आपके नए सफर के लिए शुभकामनाएँ!